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बजरंग बाण / तुलसीदास

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निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान ।
तेहिं के कारज सकल शुभ,सि़द्व सि़द्ध करें हनुमान ।।
जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ।।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अंतरयामी ।।
जय जय लखन प्रान के दाता । आतुर ह्वबै दुख करहु हरहु निपाता ।।
जै हनुमान जयति बलसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहि मारू बज्र के कीले ।।
धूप देय जो जपै हमेशा । ताके तन नहि रहे कलेशा ।।
उर प्रतीति दृढ़ सरन हवै , पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर, करै सब काम सफल हनुमान ।।
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