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सूर स्याम यह बात सुनतहीं बोलि लिए बलराम ॥ <br><br>
भावार्थ :-- (कोई सखा कहता है--) `कन्हाई ! दूर खेलने क्यों जा रहे हो? आजमैंने आज मैंने सुना कि हाऊ (हौआ) आया है; तुम नन्हें हो, इससे उसे नहीं जानते । एकलड़का एक लड़का अभी भागा आया है, मैंने उसे रोते देखा है, वह हाऊ जिन्हें लड़का समझता है; उन सबों के कान उखाड़ लेता है । मेरे साथ चलो न, सबेरे (जल्दी) ही अपने घर भागकर चले चलें ।'सूरदासजी सूरदास जी कहते हैं कि यह बात सुनते ही श्यामसुन्दर ने बलरामजी बलराम जी को बुला लिया ।