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|रचनाकार=मलिक मोहम्मद जायसी
}}
[[Category:लम्बी कविता]]
'''मुखपृष्ठ: [[अखरावट / मलिक मोहम्मद जायसी]]'''
देखहु मन हिरदय बसि रहा । खन महँ जाइ जहाँ कोइ चहा ॥<br>
सोवत अंत अंत महँ डोलै । जब बोलै तब घट महँ बोलै ॥<br><br>
 
 
 
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