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{{KKAarti|रचनाकार=}}{{KKCatKavitaKKDharmikRachna}}{{KKAnthologyKrushnKKCatArti}}[[चित्र:Khatu_shyam.jpg]]<poem> ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे | हरे।खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... धरे॥ रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले | ढुले।तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... पडे॥ गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे | धरे।खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... जले॥ मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें | भरें।सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... करें॥ झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे | धरे।भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... करें॥ जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे | उबरे।सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... उचरें॥ श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे | गावे।कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... पावें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे | हरे।निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... करें॥ ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे | हरे।खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे.... 
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