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Kavita Kosh से
हो सकता है अब ये मुर्गे,
देर रात तक जाग रहे हों,|
कम्पूटर टी वी के पीछे,
पागल होकर भाग रहे हों|
पर पश्चिम की यही नकल तो,
हमको लगती है दुखदाई|
हमको अक्ल जरा न आई|
यही बात कोयल कौये से,