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मन का तोता / अवनीश सिंह चौहान

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मन का तोता करता रहता
नित्य नए संवाद
महल-मलीदा,पदवी चाहे
लाखों-लाख पगार
काम न धेले भर का करता
सपने आँख हजारहज़ार
इच्छाओं की सूची
मेरे
सिर पर देता लाद
अपने आम बाग़ के मीठेकुतर-कुतर कर फेंके किन्तु पड़ोसी का खट्‌टा खट्टा भीचंहके चँहके उसको लेके
समझाने पर करता-रहता
अड़ा-खड़ा प्रतिवाद
विज्ञापन की भाषा बोले
'यह ‘यह दिल माँगे मोर'मोर’बेहिसाब देख-देख बौराए तोता देता खीस खींस निपोर
बात न मानेकरने लगताघर में रोज़ फ़साद
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