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मिली आग लेकिन न भाग्य-सा<br>
जलने को जुट पाया इन्जनइंधन<br>
दाँतों के मिस प्रकट हो गया<br>
मेरा कठिन शिशिर का क्रन्दन<br><br>
'सबके दाता राम' लिखा है?<br>
या कि गरीबों की खातिर,<br>
भूखों मरना अन्जाम अंजाम लिखा है?<br><br>
किन्तु अचानक लगा कि यह,<br>
निर्धन के घर हाथ सुखाते,<br>
नहीं किसी का अन्तर डोला<br>
कफन कफ़न फाड़कर मुर्दा बोला ।<br><br>
घरवालों से, आस-पास से,<br>
जाऊँ कहाँ, न जगह नरक में,<br>
और स्वर्ग के द्वार न खोला !<br>
कफन कफ़न फाड़कर मुर्दा बोला ।<br><br>
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