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{{KKRachna
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र
|संग्रह=त्रिकाल संध्या / भवानीप्रसाद मिश्र
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
कठपुतली<br>
गुस्से से उबली<br>
बोली - ये धागे<br><br>क्यों हैं मेरे पीछे आगे ?<br><br>
तब तक दूसरी कठपुतलियां<br>
बोलीं कि हां हां हां<br>
क्यों हैं ये धागे<br>
हमारे पीछे - आगे ?<br>हमें अपने पांवों पर छोड दो ,<br>
इन सारे धागों को तोड दो !<br><br>
बेचारा बाज़ीगर<br>
हक्का - बक्का रह गया सुन कर<br>
फिर सोचा अगर डर गया<br>
तो ये भी मर गयीं मैं भी मर गया<br>
तब तक ठाट की हैं<br>
और हमें ठाट में रहना है<br>
याने कोरे काठ की रहना है .