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मीट्ठोॅ भाव रोॅ अंगूरोॅ केआय करी ऐलौं हाला,प्रीतम, अपने ठो हाथोॅ सेंआय पिलैबौं प्याला;पहिलें भोग लगाय लौं तोराफेनू जग परसादी पैतै;सबसें पहिलें तोरोॅ स्वागतहमरोॅ करै मधुशाला । १मधुशाला।१
प्यास बुझेॅ, तेॅ विश्व तपाय केॅजाय चुऐबै सब हाला,एक गोड़ोॅ पर साकी बनलेॅनाँची उठबै लै प्याला;जिनगी रोॅ मधुरी तेॅ तोरोॅऊपर कहिये वारी देलौं,आय निछावर करबै तोरापर जग केरोॅ मधुशाला । २मधुशाला।२
प्रीतम, तों हमरोॅ हाला तेॅतोरोॅ छी प्यासा प्याला,अपना केॅ हमरा में भरी केॅबनौ उठोॅ पीयैवाला; हम्में छलकौं तोरा छकी केॅमस्त तोहें पीवी हमरा,इक दूसरा केॅ हम्में दोनोंआय परस्पर मधुशाला । ३मधुशाला।३
भावुकता अंगूर लतोॅ सेंखिची कल्पना रोॅ हाला,कवि साकी बनलोॅ ऐलोॅ छैभरी केॅ कविता रोॅ प्याला;कभी नै कण भर खाली होतैलाख पीयौ, दू लाख पीयौ !पाठक छेकै पीयैवालापुस्तक हमरोॅ मधुशाला । ४मधुशाला।४
मधुर भावना केरोॅ सुमधुररोज बनाबै छी हाला,ई मधु सें ही भरौं आपनोॅअन्तर रोॅ प्यासा प्याला;धरी कल्पना रोॅ हाथोॅ सेंओकरा आपने पीवी जाँव;अपनै में हम्में छी साकीपीयौवाला, मधुशाला । ५ जाय लेली मदिरालय घर सेंनिकलै छै पीयैवाला,अनभुवार रं पथ खोजै मेंही छै ऊ भोलाभाला;अलग-अलग पथ बतलाबै सबहम्में ई बतलाबै छी-‘पथ पकड़ी केॅ चल्ले चल तोंपावी लेबे मधुशाला’ । ६मधुशाला।५
जाय लेली मदिरालय घर सें
निकलै छै पीयैवाला,
अनभुवार रं पथ खोजै में
ही छै ऊ भोलाभाला;
अलग-अलग पथ बतलाबै सब
हम्में ई बतलाबै छी-
‘पथ पकड़ी केॅ चल्ले चल तों
पावी लेबे मधुशाला’।६
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