भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=अख़्तर अंसारी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं <br>
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं <br><br>