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परब्रह्म को<br>
उस आदि शक्ति को,<br>
:जिसका संबल अविराम,<br>:मेरी शिराओ में प्रवाहित है|:उसे अपनी अकिंचनता,<br>::अनन्यता<br>
एवं समर्पण<br>
से बड़ी और क्या पूजा दूँ ?<br><br>
परिपूर्ण प्रभु की पूर्णता से पूर्ण जग सम्पूर्ण है,<br>
उस पूर्णता से पूर्ण घट कर पूर्णता ही शेष है,<br>
परि पूर्ण परिपूर्ण प्रभु परमेश की यह पूर्णता ही विशेष है।<br>
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