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<Poempoem>
पर्वतीय राजा की बेटी
पर्वतीय वन-सी शीतल
एक दिन पूछा मैंने--
प्यारी पर्वतीय माँ !
तुम्हारी पीठ वाली शम में
है क्या-क्या ?
तुम्हारी पीठ के बोझे में
भरा है क्या क्या
पूछा मैंने विस्मय से--
क्यों माँ ! क्या है यह ?
देखा माँ ने मुझे एक बार
और बोली धीरे से--
मैं न ढोऊँ तो कैसे जीएंगे ये !
और कुछ्न बोली आगे
चली गई पहले की तरह
'''मणिपुरी से अनुवाद : इबोहल सिंह कांजम
 </poem>
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