भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नरमा नारायण्‌को खेल्ठूलो येहि हो । बखत चिन्यो भन्या ईक्क्वर तेहि हो ।।
'समुद्रलहरी' बाट उद्ड्ढृताँशउद्‌धृताँश
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
9,789
edits