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* [['हम ऐसी सब किताबें क़ाबिले-ज़ब्ती समझते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
* अभी फ़र्दे-गुनह में सिर्फ़ अपना नाम ही तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
* तीर की नोक कभी ज़ख़्मे-जिगर देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़'
* अब ख़ता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़'
* क्या उसे इतना भा गया हूं मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
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