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|संग्रह=नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
}}
[1]बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे! <br>  
कुछ लोग <br>
चाहे ज़ोर से कितना <br>
शांति की आवाज़ को <br>
दबने नहीं देंगे ! <br>
 
क्योंकि हम <br>
इतिहास के आरम्भ से <br>
गौतम और गांधी को <br>
हृदय के पास रखते हैं ! <br>
 
किसी को भी सताना <br>
पाप सचमुच में समझते हैं,<br>
नहीं हम व्यर्थ में पथ में <br>
किसी से जा उलझते हैं ! <br>
 
हमारे पास केवल <br>
विश्व-मैत्री का <br>
पीड़ित ध्वस्त दुनिया के लिए <br>
अवशेष है ! <br>
 
हमारे हाथ - <br>
गिरतों को उठाएंगे, <br>
भयभीत, घायल औरतों को <br>
दानवों के क्रूर पंजों से बचाएंगे ! <br>
 
हमें नादान बच्चों की हँसी <br>
लगती बड़ी प्यारी ; <br>
गलों से गीत की कड़ियाँ <br>
मनोहारी ! <br>
 
खुशी के गीत गाते इन गलों में <br>
हम <br>
कभी भी बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे ! <br>
1950
 
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