भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सांग:– चमन ऋषि – सुकन्या (अनुक्रमांक – 1)
"'ब्रहमा बैठे फूल कमल पै, सोचण लागे मन के म्हां,''''''आई आवाज समुन्द्र मै तै, करो तपस्या बण के म्हा॥टेक॥म्हा ॥टेक॥'''
तप मेरा शरीर तप मेरी बुद्धि, तप से अन्न भोग किया करूं,
445
edits