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उद्गीत / कविता भट्ट

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मन समंदर में
भाटा विचार
11
बाहर तूफाँ
मन के भीतर का
उससे भारी
12
मूल कारण
प्राकृतिक कोप का
अतिक्रमण
13
जो वीर वेश
तरु जूझे आँधी से
अब भी शेष
14
पाहन हूँ मैं
तुम हीरा कहते
प्रेम तुम्हारा
15
तुम हो शिल्पी
प्रतिमा बना डाली
मैं पत्थर थी
<poem>
-०-