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वासर सुन्ना हो बिन रवि, नगारि सुन्ना हो बिन पवि,
कवि बिना कविताई सुन्नी, समर बिना रणधीर,
लजै ना सत पथ धी गरु गुरु गामिनी।।
कुन्दनलाल विपद सब मेटी, दिन्ही खोल ज्ञान की पेटी,
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