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पद / 1 / चन्द्रकला

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चन्द्रकला बाई बूँदी के कवि और दीवान कविराज राव गुलाबसिंह की दासी की पुत्री थीं। स्वयं चन्द्रकलाजी ने अपना परिचय इस प्रकार दिया है:-एहो ब्रजराज कत बैठे हौ निकुंज माँहि,कीन्हों तुम मान ताकी सुधि कछु पाई है।बरस पंच-दस की बय मेरी।ताते वृषभानुजा सिंगार साजि नीकी भाँति,कवि गुलाब सखियाँ सयानी संग लेय सुखदाई है॥‘चन्द्रकला’ लाल अवलोको और मारग की हूँ मैं चेरी॥,बालहिं ते कविभारी भय-संगति पाई।दायिनी अपार भीर छाई है।ताते तुम जोरन मोहिं आई॥रावरो गुमान अति बल अति भट मानि,जोबन को फौज लैके मारिबे को धाई है॥
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