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तूँ घी जे हथ बसंत के दिया जराबऽ इऽ ई तो हम सब जानऽ ही।लावेवाला उहे झेलऽ हथ दंस।गली-गली आउ कूचा-कूचा हमहूँ खाके छानऽ ही।हमहुँ नितरइतूँ हल जो मिल जात हल एक्को अंस।।तूँ हखो सूरमा-भोपाली एकरा देह पर फट्टल कपड़ा हे, गोड़ में कोय शक फटल बिआय।जेकरा दरद सुनाबऽ ही हम सुनके हे न´्मुसकाय।तोरा पर अँगुरी उठबे के हमरा सबके हक कउआ मोती चून रहल दाना चुगऽ हे न´्।सरकारी रुपइया अपने-अपन खाता में टानऽ ही।।तूँ घी हंस।। हमहुँ ....गिरगिट जइसन रंग बदलऽ हऽ डेगे-डेग संग बदलऽ हऽ।परकिरती हमरा मारऽ हे, अधिकारी झुट्ठो झारऽ हे।हो झूठमूठ के तोर लड़इया छनेमंतरी-छन जग बदलऽ हऽ।डालऽ तू चेहरा पर नकाबऽ पर हम विधायक हमरा सबके पहचानऽ ही।।तूँ घी ...जब जान देबे के बेरी आबे हमनी के मुड़ी कटाबऽ हऽ।एयरकंडीशन में बैठके गाँड़ से सटाबऽ हऽ।तोर तेजी के की कहना? ई त हमबार-सब जानऽ ही।।बार दुत्कारऽ हे।तूँ घी जेकरा तर कृष्ण समझके जाहूँ उहे बनऽ हे कंस।। हमहुँ ....हम्मर केहू सुने न सुने पर तोहर तो सब सुनबे करतो।हमरा लेहे सुक्खल रोटी ऊ खा हथ भुँज्जल काजू।हमरा न´् नेनुआँ हमर बोट से राजा हे नेमान तोरा हीं कद्दू फरबे करतो।ऊ आझो हम ही उहे राजू।।तूँ खुद के समझऽ तीसमार खाँ पर हम न´् तोरा रानऽ ही।।तूँ घी ....हम्मर घर में सूखा-दहाड़ कभिओ टूटे दुख काशी के पहाड़।तोहर बबुआ छुट्टा घूमे जइसे बिन फाहा के साँढ़।बने ले तोरा जइसन हम कभिओ न´् मन में ठानऽ ही।।तूँ घी कलुआ डोम ऊ मालिक रघुवंश।। हमहुँ ....तूँ की जानबऽ हम्मर दुख? तोरा चाही बस सूखेदेखेके हो राम-सूख।राज त, चलऽ विधायक-निवास में।मक्कारी ऐय्याश बन ठन छुपल हे तस्कर, गुंडा खादी के भरल हो तोहरा में बस भूख।लीवास में।तूँ बैठल मउज उड़ाब हऽ हम खून-पसीना सानऽ ही।।तूँ घी ....मगही उहे राम के दशा बदले हमहुँ पुजूँ तइयो बढ़े बदले तोर दशा बदलबे करतै।स्वर्ण झूला पर झूल-झूल के तोहरा मन मचलबे करतै।तोर चाल-ढाल के खिस्सा हम सगरे बखानऽ ही।।तूँ घी संस।। हमहुँ ....तूँ कहलाबऽ हऽ भाषाविद ई त तोहर बड़गर हे जिद।उनखा लेहे रोज दिवाली, ईद आउ बकरीद।चलऽ हे तोहरे छत्र-छाया में ई धरती अउ उसँसे हिंद।बेटा हो तो ऐसन होय जे देश ले होवे शहीद।ई युग के हा पुरोधा तूँ इहे पूत कपूत से अच्छा रहे ले चाहम हम-सब कानऽ ही।।तूँ घी निरवंश।। हमहुँ ....
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