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सागरभरि छाती चिरी पहाडबाट आएँ
तीन तारे सारङ्गी लिई क्षण भर गीत गाएँ
लहरसँग मितेरी लाइ लाई मैले छन्द पाएँ
कानबाट हृदयमा आज गुँड लाएँ
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