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राजेश रेड्डी

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/* ग़ज़लें */
* [[अपने सच में झूठ की मिक्दार थोड़ी कम रही / राजेश रेड्डी]]
* [[इक ज़हर के दरिया को दिन-रात बरतता हूँ / राजेश रेड्डी]]
* [[अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम / राजेश रेड्डी]]
* [[कब खुला आना जहाँ में और कब जाना खुला / राजेश रेड्डी]]
* [[मोड़ कर अपने अंदर की दुनिया से मुँह / राजेश रेड्डी]]
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