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असीम आनन्दले भरिपूर्ण एउटा पाप गरेँ मैले।
हे ईश्वर, भन्न सक्दिनँ, त्यस अँध्यारो, मौन एकान्तमा
खै मैले के गरेँ !  '''[[पाप / फ़रोग फ़रोखज़ाद|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ]]''' 
</poem>
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