भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पिँजडाको चरो
स्वतन्त्रताको गीत गाउँछ ।
 
 
'''[[मुझे पता है क्यों गाता है पिंजरे का पक्षी / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / माया एंजलो|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ]]'''
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
9,783
edits