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वो दिन कि जिसका वादा है<br>
जो लौह-ए-अजल में लिखा है<br>
जब जुल्म o ए सितम के कोह-ए-गरां<br>
रुई की तरह उड़ जाएँगे<br>
जब धरती धड़ धड़ धड़केगी<br>
और अहल-ए-हकम हिकम के सर ऊपर<br>
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी<br>
हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम<br>
मसनद पे बिठाए जाएंगे<br>
सब ताज उछाले जाएंगे<br>
सब तख्त गिराए जाएंगे<br>
और राज करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा<br>
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो