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<poem>
'''एक.''' 
कितने फूल थे
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में
लावारिस मारे गए '''दो.''' 
कितने फूल थे
जिन्हें तुम
सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी। थी । '''तीन.'''
फूल खिलते हैं
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं
फूल खुशी ख़ुशी से खिलते हैं। हैं । '''चार.''' 
एक तुम थी
दूसरे रातरानी के फूल
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि
मेरे पास कौन है? '''पाँच.''' 
एक फूल की आड़ में
छिप जाते थे हत्यारे
और कहते थे- कमल खिलेगा। खिलेगा । '''छह.''' 
बहुत सारे फूल थे
अलग - अलग गंध गन्ध थी अलग-अलग रूप थे
पर एक फूल ने
दूसरे फूल से कभी नहीं कहा- तुम अछूत हो। हो । '''सात.''' जैसे-जैसे रात बीतती थी
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे
और मेरा कमरा महक उठता था
पड़ोसी कहते थे- यह रातरानी है मैं कहता था- नहीं, यह मेरी रानी है। है । '''आठ.''' उन आखिरी आख़िरी दिनों में जब तुम साथ-साथ रोती थींऔर तकिए तकिये पर गिरते थे टप-टप आँसू मैं सोचता था- सुबह तक तकिए तकिये पर फूल खिलेंगे। खिलेंगे । '''नौ.''' 
जिन फूलों के नाम
हम नहीं जानते थे
उन्हें फूल कहते थे
सोचता था काश, ! मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता। होता । '''दस.''' 
तुम पुकार लो
तो अब भी लौट आऊँ
प्यार से छू लो
तो बासी फूल भी महक उठते हैं। हैं ।
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