भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजकुमारी रश्मि|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]{{KKCatNavgeet}}<poeMpoem>
बीड़ी फूँक फूँक
दिन अपने
काटे, राम भजन.रामभजन ।
(१)
तीन माह से मिल वालों से
वेतन नहीं मिला , कितने घर ऐसे हैं, जिनमें चूल्हा नहीं जला , आश्वासन की बूंदे बून्दें कब तक चाटे राम भजन.रामभजन ।
(२)'काम बन्द' की तख्ती तख़्ती टाँगेरोज रोज़ हुई हडतालें हड़तालें, उस पर बढती महंगाई बढ़ती महँगाई नेपतली कर दी दालें,चढ़े हुए कर्जे करज़े को कैसे पाटे राम भजन.रामभजन ।
(३)
लीडर की बातों मे आकर
मारी पैर कुल्हाड़ी , कई कई दिन, उसे कहीं भी
मिलती नहीं दिहाड़ी
दारू भी तो नहीं
कहाँ दुःख दुख बाँटे राम भजन.रामभजन ।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,288
edits