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साक़ी गरी की शर्म करो आज वर्ना हम <br>
हर शब पिया ही करते हैं मै मय जिस क़दर मिले <br><br>
तुझ से तो कुछ कलाम नहीन नहीं लेकिन अए नदीम <br>मेरा सलाम कहीयो कहियो अगर नामाबर मिले <br><br>
तुम को भी हम दिखाये दिखायें के मजनूँ ने क्या किया <br>
फ़ुर्सत कशाकश-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ से गर मिले <br><br>
माना के एक बुज़ुर्ग हमें हम सफ़र मिले <br><br>
अए साकनान-ए-कुचा-ए-दिलदार देखना <br>तुम को कहीं जो ग़लिबग़ालिब-ए-आशुफ़्ता सर मिले <br><br>
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