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प्यास की आग
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मैं कि हूँ प्यास के दरिया की तड़पती हुई मौज
पी चुका हूँ मैं समन्दर का समन्दर फिर भी
दिल में यह गौहरे-नायाब भी रख लेने दो
ख़ुश्क हैं होंट मिरे, ख़ुश्क ज़बाँ है मेरी
ख़ुश्क है दर्द का, नग़मे का गुलू१गुलू<ref>कण्ठ</ref>
मैं अगर पी न सका वक़्त का यह आबे-हयात
प्यास की आग में डरता हूँ कि जल जाऊँगा
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१.कण्ठ
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