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रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा <ref>मधुपात्र और मदिरा</ref>मेरे आगे
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्यों कर कहूँ लो नाम न उसका मेरे आगे
काबा मेरे पीछे है कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे
आशिक़ हूँ पे माशूक़ फ़रेबी<ref>माशूक को रिझाने का काम</ref> है मेरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
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