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मेरे लिये कोई शयान-ए-इल्तमास नहीं <br><br>
तेरे उजालों में भी दिल काँप -काँप उठता है <br>
मेरे मिज़ाज को आसूदगी भी रास नहीँ <br><br>
कभी -कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़रे थे <br>
अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं <br><br>
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