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Kavita Kosh से
<poem>
मैं क़िताब पढ़ता हूँ
::तुम उसमें हो
गीत सुनता हूँ
::तुम उसमें हो
खाने बैठा हूँ रोटी
::तुम बैठी हो सामने
मैं काम करता हूँ
::तुम वहाँ मौज़ूद हो
हालाँकि हाज़िर हो तुम सभी जगह
बात नहीं कर सकती तुम मुझ से
सुन नहीं पाते हम आवाज़ एक-दूजे की