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<poem>
केसरिया बालमवा..
पधारो म्हारे देस<ref>देश</ref>...
आदम ढूंढो, आदिम पाओ
मेरी माँगें, तेरी माँग
खींचे इसकी उसकी टाँग
मेरा परिचय, मेरी जातीजाति
छलनी कर दो दूजी छाती
नेताजी का ले कर नारा
गुंडागर्दी धर्म हमारा
हमें रोकने की जुर्रत में
खिंचवाने क्या केस<ref>केश, बाल</ref>
पधारो म्हारे देस..
रेलें रोकें बस सुलगाएँ
कितना अपना भाईचारा
मिलकर हमने बाग उजाडाउजाड़ा
बीन जला दो, धुन यह किसकी
भैंस उसी की लाठी जिसकी
मरे बिचारे आम दिहाडीदिहाड़ीगोली के आदेस<ref>आदेश, हुक़्म</ref>
पधारो म्हारे देस..
और अगर ऐसा कर पाओ
हिम्मत वालो देश जलाओ
अपनी पीडा पीड़ा ही पीडा पीड़ा हैभीतर यह कैसा कीडा कीड़ा है
अपनी भी देखो परछाई
निश्चित डर जाओगे भाई
बारूदों में रेत बदल दी
इसी काज के क्लेस<ref>क्लेश,</ref> लड़ाई
पधारो म्हारे देस...
होली रक्त चिता दीवाली
गुलशन में उल्लू हर डाली
हँसी सुनों, हैं सभी भेडिएभेड़ियेइंसानों के भेस<ref>भेष</ref>
पधारो म्हारे देस...
केसरिया बालमवा.........!!!
</poem>
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