भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=निशा निमन्त्रण / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
क्षण भर को क्यों प्यार किया था
अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,
पलक संपुटों में मदिरा भर
तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था?
क्षण भर को क्यों प्यार किया था?
वह क्षण अमर हुआ जीवन में,<br>आज राग जो उठता मन में -<br>यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उद्गार दिया था!<br>क्षण भर को क्यों प्यार किया था?<br><br/poem>