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साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय। <br>मैं भी भूखा प्रभू मोरे अवगुण चित रहूँ, साधु ना भूखा जाय॥ <br>धरो । समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥ एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो । अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥
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<br>
कविता कोश में [[कबीरसूरदास]]
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