भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्रय / महादेवी वर्मा

23 bytes added, 16:49, 9 नवम्बर 2009
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
:::चुका पायेगा कैसे बोल!
:::थकते पर पलकें न लगाते,
क्यों मेरा पहरा देते वे तारक आँखें खोल?
:::पाषाणों की शय्या पाता,:::उन पर गीले गान बिछाता,:::नित गाता, गाता ही जाता,
जो निर्झर उसको देगा क्या मेरा जीवन लोल?
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits