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रोज़ होती है / अश्वघोष

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|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
}}
[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}
<poem>
रोज़ होती है यहाँ हलचल कोई
टूटता है आईना हर अल पल कोई
राह भटके इन परिन्दों के लिए
क्या करेगी आपकी दमकल कोई
बेवजह मत घूमिए यूँ 'अश्वधोशअश्वघोष'
फाँस लेगी आपको दलदल कोई
 
</poem>
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