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लिख दिया अपने दर पे किसी ने, इस जगह प्यार करना मना है<br />इस जगह प्यार अगर हो भी जाए किसी को, इसका इज़हार करना मना है
प्यार अगर हो भी जाए किसी कोउनकी महफ़िल में जब कोई आये, पहले नज़रें वो अपनी झुकाए<br />इसका इज़हार वो सनम जो खुदा बन गये हैं, उनका दीदार करना मना है
उनकी महफ़िल में जब कोई आयेजाग उठ्ठेंगे तो आहें भरेंगे, हुस्न वालों को रुसवा करेंगे<br />पहले नज़रें वो अपनी झुकाएसो गये हैं जो फ़ुर्क़त के मारे, उनको बेदार करना मना है
वो सनम जो खुदा बन गये हैंहमने की अर्ज़ ऐ बंदा-परवर, क्यूँ सितम ढा रहे हो यह हम पर<br />उनका दीदार बात सुन कर हमारी वो बोले, हमसे तकरार करना मना है
जाग उठ्ठे तो आहें भरेंगे<br />हुस्न वालों को रुसवा करेंगे सो गये हैं जो फुरक़त के मारे<br />उनको बेदार करना मना है हमने की अर्ज़ ऐ बंदा-परवर <br />क्यूँ सितम ढा रहे हो यह हम पर बात सुन कर हमारी वो बोले<br />हमसे तकरार करना मना है सामने जो खुला है झरोखा<br />, खा न जाना क़तील कहीं उनका उसका धोखा<br>अब भी अपने लिए उस गली में<br />, शौक-ए-दीदार करना मना है
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