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समयातीत पूर्ण-5 / कुमार सुरेश

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[[समयातीत पूर्ण 5]]{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita‎}}<poem>हे अकम्पित
बरसते रहे प्राणघातक, मर्मान्तक
अस्त्र-शास्त्र चारों और
कहो तो जरा
तुमने अपना युद्ध कब लड़ा
कब जीत लिया था ?</poem>