भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग्यारह दोहे / जगदीश व्योम

22 bytes added, 03:44, 15 अप्रैल 2010
|रचनाकार=जगदीश व्योम
}}
{{KKCatDohe}}
<poem>
 
<poem>
आहत है संवेदना, खंडित है विश्वास।