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वह छीना जाएगा
जल्‍दी ही पुरखों के नाम पर पुरखों की हत्‍या होगी
घरों में कातिल घुसेगा जिंदगी ज़िंदगी ठीक-ठाक करनेसोने और जागने खाने-पीने और रोने हॅंसनेहँसने
बोलने न बोलने का मरने-जीने का
फैसला करने
घरों में कातिल घुसेगा
और उसके नाम के मान -सम्‍मान की झॉंकी झाँकी होगी राजनीति.राजनीति।
झूठ उसकी माला में गूंथेगा सचाईगूँथेगा सच्चाईभीड़ उसके कदमों क़दमों में गिरेगी पागलपाग़लवह कातिल क़ातिल पहले दिन से पहचाना जाएगा
पर आखिरी दिन तक मारा नहीं जाएगा
वह रूप बदल सब में समा जाएगा
वह भीतर पहले से होगा मौजूद
बाहर जब दरवाजे दरवाज़े पर आएगा.आएगा।</poem>
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