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सर्वेशवरदयाल सक्सेना

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शब्दों के जलते कोयलों की आँच
अभ अभी तो तेज़ होनी शुरु हुई है
उसकी दमक
आत्मा कर तक तराश देनेवाली
अपनी मुस्कान पर
मुझे देख लेने दो।
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