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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता कैसे आसमान में सुराख़ नहीं हो जाएगासकता, <br>इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा।एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ।
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कविता कोश में [[बशीर बद्रदुष्यंत कुमार]]
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