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"आने वाले दिनों में क्या होगा.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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आने वाले दिनों में क्या होगा
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कुर्बतें या कि फासला होगा
  
किसने जाना कि कल है क्या होगा
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आज  रोता है वो तो रोने दो
कुरबतें या के फ़ासला होगा
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आज वो  खुद से मिल गया होगा
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जिंदगी तू जो हार जायेगी
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मौत को इससे हौसला होगा
  
आज  रोया है वो तो रोने दो
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फूल की ताज़गी से डर सा लगे
हो न हो ख़ुद से वो मिला होगा
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जल्द ही शाख़ से जुदा होगा
  
चाँद जो पल में बन गया मिट्टी
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कोई तो हमख़्याल होगा यहाँ
रात दिन किस तरह जला होगा
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कोई तो मुझ सा सिरफिरा होगा  
 
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ज़ुल्म करता नहीं वो बन्दों पर
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आज दुनिया का रब जुदा  होगा
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यूँ न ढूँढों यहाँ वफ़ा  "श्रद्धा"
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तन्हा-तन्हा-सा रास्ता होगा
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21:40, 9 दिसम्बर 2010 का अवतरण

आने वाले दिनों में क्या होगा
कुर्बतें या कि फासला होगा

आज रोता है वो तो रोने दो
आज वो खुद से मिल गया होगा
 
जिंदगी तू जो हार जायेगी
मौत को इससे हौसला होगा

फूल की ताज़गी से डर सा लगे
जल्द ही शाख़ से जुदा होगा

कोई तो हमख़्याल होगा यहाँ
कोई तो मुझ सा सिरफिरा होगा