भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"औरत-2 / किरण येले" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=किरण येले |संग्रह= }} Category:मराठी भाषा {{KKCatKavita}} <poem…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:32, 12 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
|
शाम के वक़्त
औरत
दीया लगाती है
भगवान की तस्वीर के सामने
हाथ जोड़ती है
और बुदबुदाती है
होंठों में स्थित अँधेरे को
अपने भीतर खींच लेती है ।
मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे