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'प्रत्येक औरत अलग होती है
छाती और पीठ में'
ब्लाउज सीते समय माँ कहती
सभी औरतें नहीं सी जा सकतीं
एक ही नाप में ।

सिलाई अगर उधेड़ी गई
तो शील उघड़ जाने का पाप
पति की ओर से
अथवा
देखनेवालों की ओर से ।


मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे