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मेरी बर्बर भाषा में
फूलों को फूल कहा जाता है
और हवा को हवा
सड़क की हड्डियों को रौंदते हुए
मेरी जूतियों की एड़ियाँ
ठकठकाती हैं ठक-ठक
इतनी कोमलता से कहती हूँ- पत्थर
मानो वह पत्थर नहीं मखमल का टुकड़ा हो
अपना सिर तेरी गोद में छिपाती हूँ
जैसे बिल्ली गर्म फ़र में छिपाती है मुँह
मुझे पसन्द है
अपनी यह बर्बर भाषा
कहती हूँ- पसन्द है यह भाषा
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
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