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"मन खुशियों से लहराया / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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12:24, 25 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

मन चंचल काबू से बाहर
मन को कैसे पकडूँ मैं,
मन पल में भग जाए कहीं पर
मन को कैसे जकडूँ मैं,

मन मारूँ ना मन की मानूँ
मन को मैंने समझ लिया,
मन से प्रीत लगाली मैंने
मीत बना कर जकड़ लिया,

मन को जीता जग को जीता
मन ख़ुशियों से लहराया,
जग जाहिर करता मैं ख़ुशियाँ
घर पे तिरंगा फहराया...