भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रास्ता चलते यूँ ही / ओरहान वेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} Category:तुर्की भाषा …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:29, 26 दिसम्बर 2010 का अवतरण
|
रास्ता चलते
यूँ ही
अचानक अहसास होता है
अपने मुस्कराने का
पागल समझते होंगे
लोगबाग मुझे
मुस्कराहट और बढ़ जाती है
इस एहसास के साथ ।