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"खिड़की पर लड़की / अरमाएस सहाकिआन" के अवतरणों में अंतर

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03:20, 29 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

तुम इस तरह किसको ताक रही हो, आश्चर्य है ?
किसकी प्रतीक्षा कर रही हो
अपने शुभ्र सपनों में ?
किसका सपना देख रही हो तुम, आश्चर्य है मुझे ?

शायद अचानक याद आ गया कोई
और तुम उसकी याद में दीवानी हो गई
या तुम्हें किसी से मिलने जाना है
या तुम उससे बिल्कुल अभी मिली हो ।

तुम सुन्दर हो
सुन्दर है सहज तुम्हारा यौवन ।
तुम मुझे नहीं जानती,
मेरी ओर देखती भी नहीं
लेकिन मैं ख़ुश हूँ कि तुम हो ।
अपनी खिड़की के पार
जीवन और संसार पर हँसो ।

तुम किसी से प्यार करती हो,
सचमुच आश्चर्य है मुझे
किस भाग्यशाली जवान से ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय